आजम खां का अंतिम गढ़ भी ढहाने की तैयारी में जुटेगी भाजपा, अपना दल से ले सकती है स्वार सीट

भाजपा स्वार विधानसभा सीट पर उपचुनाव में सपा नेता मोहम्मद आजम खां का अंतिम गढ़ ढहाकर रामपुर में भगवा फहराने के लिए पूरी ताकत लगाएगी। वहीं, मिर्जापुर की छानबे सीट पर भी गठबंधन का कब्जा बरकरार रखने के लिए पूरा दमखम झोंकेगी।स्वार से पूर्व सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को न्यायालय से दो वर्ष के कारावास की सजा होने के कारण स्वार सीट रिक्त हुई है। वहीं छानबे सीट से पूर्व विधायक स्वर्गीय राहुल प्रकाश कौल के निधन के बाद से सीट खाली है।

दोनों सीटों पर 10 मई को उपचुनाव की घोषणा हुई है। रामपुर जिले की रामपुर और स्वार विधानसभा सीट को सपा नेता मोहम्मद आजम खां का गढ़ माना जाता है। 2017 और 2022 में भाजपा की एकतरफा लहर में भी आजम खां के बूते सपा ने दोनों सीटें जीती थी। हालांकि, गत वर्ष रामपुर में हुए उपचुनाव में पहली बार भाजपा ने आजम के करीबी को हराकर रामपुर सीट पर कब्जा जमाया है। आजम खां के इस्तीफे से रिक्त हुई रामपुर लोकसभा सीट पर भाजपा उपचुनाव में कब्जा जमा चुकी है।

भाजपा गठबंधन दोनों सीटें जीतेगा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि स्वार और छानबे दोनों सीटें अपना दल के पास हैं। उपचुनाव में किस तरह चुनाव लड़ना है, इसको लेकर अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल से बात की जाएगी। उन्होंने कहा कि दोनों सीटों पर चुनाव कोई भी लड़े, लेकिन जीतेगा भाजपा गठबंधन का प्रत्याशी ही। यदि अपना दल ने भी दोनों सीटों पर चुनाव लड़ा तो भी भाजपा पूरी ताकत लगाएगी।

उपचुनाव का निकाय चुनाव पर भी पड़ेगा असर
प्रदेश में निकाय चुनाव भी स्वार और छानबे विधानसभा उपचुनाव के आसपास ही होंगे। जानकारों का मानना है कि यदि उपचुनाव की मतगणना के बाद निकाय चुनाव के लिए मतदान हुआ तो उपचुनाव चुनाव के नतीजे आसपास के जिलों में कुछ सीटों पर निकाय चुनाव को भी प्रभावित करेंगे।

जनसंघ और भाजपा ने भी जीता है स्वार में चुनाव
स्वार विधानसभा क्षेत्र सपा की परंपरागत सीट नहीं रही है। इस सीट पर जनसंघ, कांग्रेस, स्वतंत्र पार्टी और भाजपा ने भी चुनाव जीता है। 1952, 1957, 1962 में कांग्रेस के मोहम्मद अली खान, 1974 में सैयद मुर्तजा अली खान, 1977 में मकबूल अहमद और 2002, 2007 और 2012 में स्वार सीट कांग्रेस के नवाब काजिम अली खान यहां से विधायक रहे हैं। 1967 में स्वतंत्र पार्टी के एम. हुसैन और 1969 में जनसंघ के राजेंद्र कुमार शर्मा विधायक रहे हैं। लेकिन 1980 में भाजपा के बलबीर सिंह यहां से विधायक निर्वाचित हुए। 1989, 1991, 1993 और 1996 में भाजपा के शिव बहादुर सक्सेना भी यहां से चुनाव जीते हैं। 2017 में सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम चुनाव जीते थे। 2022 में स्वार सीट से अब्दुल्ला आजम फिर चुनाव लड़े और जीते। भाजपा ने यह सीट गठबंधन में सहयोगी अपना दल एस को दी थी। अपना दल ने हैदर अली खान को प्रत्याशी बनाया था। अब्दुल्ला आजम 126162 मत प्राप्त कर करीब 61,103 मतों से चुनाव जीते थे।

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