डीएम अरविन्द सिंह की ‘‘ऑपरेशन माफिया कमर तोड़’’ के तहत बड़ी कार्यवाही
डीएम ने टीम के साथ निर्बाध रूप से लगातार 72 घन्टे रणनीति पर काम करते हुए समस्त विधिक कार्यवाही पूर्ण कराकर माफियाओं के खिलाफ की कठोर कार्यवाही
डीएम द्वारा पिछले छः माह से मजिस्टीरियल एवं गोपनीय सूचनाओं के तहत चलाया जा रहा था ऑपरेशन, जनपद के बाहर से भी संकलित किये गये साक्ष्य एवं सूचनाएं
डीएम के आदेश पर एसडीएम उतरौला ने आरिफ अनवर हाशमी, उसके भाई मारूफ व गैंग के अन्य सदस्यों के खिलाफ थाना सादुल्लाहनगर में गम्भीर धाराओं में आज सुबह तड़के ही दर्ज कराई एफआईआर, इस हेतु डीएम ने दिए थाने को निर्देश
वर्षों पूर्व आरिफ अनवर हाशमी इत्यादि ने कूट रचित तरीके से हथिया ली थाने के अन्दर की बेशकीमती जमीन, राजस्व अभिलेखों में अपने प्राक्सी के नाम दर्ज करा ली सरकारी जमीन
डीएम के आदेश पर न्यायिक प्रक्रिया का अक्षरशः पालन करते हुए सरकार के पक्ष में वर्षो बाद पुनः सरकार के पक्ष में (थाने के नाम) कानूनी अभिलेखों में दर्ज हुई बेशकीमती जमीन
माफियाओं को डीएम का अल्टीमेट, सुधर जाएं या छोड़ दें जिला बलरामपुर-डीएम श्री अरविन्द सिंह
गोपनीय सूचनाओं के आधार पर जारी रहेगा ‘‘आपरेशन माफिया कमर तोड‘‘, डीएम /जिला निर्वाचन अधिकारी ने किया आगाह
जनपदवासियों को डीएम का विश्वासपूर्ण संदेश, चुनाव में किसी भी धन, बल, शराब इत्यादि से खलल डालने का प्रयास भी करने वालों के खिलाफ होगी कठोरतम कार्यवाही, अपनी विशेष न्यायिक शक्तियों को INVOKE करके सीधे कारवास में करेगें निरूद्ध
अब आम गरीब कमजोर पर नहीं बल्कि वास्तवित बाहुबली, गुण्डा एवं माफियाओं पर होगी प्रभावी कार्यवाही-डीएम अरविन्द सिंह
निर्वाचन को लेकर डीएम की चेतावनी, निर्वाचन में कोई भी सरकारी तंत्र यथा-राजस्व, पुलिस, वन, आबकारी इत्यादि ने माफियाओं से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष गठजोड़ किया तो होगी कठोरतम कानूनी कार्यवाही
डीएम अरविन्द सिंह का ‘‘ऑपरेशन माफिया कमर तोड़’’ लगातार जारी है। पिछले छः माह से गोपनीय सूचनाओं एवं सीक्रेट मिशन के तहत साक्ष्यों के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट अरविन्द सिंह एवं टीम के द्वारा निर्वाध रूप से विगत 72 घन्टे से समस्त विधिक प्रक्रिया को पूर्ण कराते हुए कार्यवाही माफियाओं के विरूद्ध थाना सादुल्लानगर में आरिफ अनवर हाशमी और उसके भाई मारूफ अनवर हाशमी तथा गैंग के अन्य सदस्यों को खिलाफ एसडीएम उतरौला कोे भेजकर आज सुबह तड़के ही गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। इस हेतु डीएम ने तड़के पुलिस को भी निर्देश दिए थे।
बतातें चलें कि मारूफ अनवर हाशमी एवं उसके भाई आरिफ अनवर हाशमी ने लगभग 15 साल पहले थाना सादुल्लाह नगर परिसर की बेशकीमती जमीन को कूट रचित तरीके अपने प्राक्सी के नाम दर्ज कराकर जमीन पर कब्जा कर लिया।
डीएम अरविन्द सिंह द्वारा माफियाओं के विरूद्ध चलाये जा रहे *‘‘ऑपरेशन माफिया कमर तोड़’’* के तहत माफिया के काले कारनामों के बारे में उसके पैतृक जनपद गोण्डा तथा बलरामपुर सहित अन्य जगहों से साक्ष्य, दशकों पुराने कागजात एवं सूचनाएं इकटठा की गईं और इसके लिए डीएम द्वारा मजिस्ट्रेट लगाये गये इसी क्रम में साक्ष्यों की लड़ी बनती चली गई। डीएम श्री अरविन्द सिंह ने कानूनी एवं सांविधिक प्रक्रिया को अपनाते हुए चरणवार तरीके से स्वयं तथा अपने मजिस्ट्रेटी तंत्र से गोपनीय अन्वेषण एवं न्यायालय में तथ्यों एवं साक्ष्यों के आधार पर थाने की कब्जाई हुई जमीन को विगत 19 मार्च को पुनः सरकार के पक्ष में फैसला कर दिया तथा इसी बीते 30 मार्च को जमीन पुनः सरकार के पक्ष में थाने के नाम शासकीय अभिलेखों में दर्ज करा दी गई।
जिलाधिकारी ने 29 मार्च से निर्बाध रूप से अपनी टीम के साथ कार्य करते हुए रणनीति के तहत साक्ष्यों एवं पूरी कानूनी प्रक्रिया का अक्षरशः पालन करते हुए 01 अप्रैल को सुबह तड़के ही एसडीएम उतरौला को इन आरोपियों के ऊपर जो कि आदतन सरकारी जमीनों पर कब्जा करते हैं, के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया जिसका अनुपालन तत्काल पुलिस ने तत्काल कराया।
चूंकि इस एफआईआर में 10 वर्ष तक की सजा का प्राविधान है। इन आरोपियों पर *‘‘ऑपरेशन माफिया कमर तोड़’’* के तहत कार्यवाही की गई है। अब ये माफिया कभी भी सलाखों के पीछे जा सकते हैं।
जैसा कि डीएम ने पूर्व में भी आगाह किया था कि वन माफिया, भूमाफिया, शराब माफिया और बड़े स्तर के गैंगस्टर कितने भी मजबूत क्यों न हों जायें, वह जिला प्रशासन की कटिबद्धता को जरा भी कमजोर नहीं कर पाएगें। उनके ऊपर कानून के तहत कठोर कार्यवाही समस्त साक्ष्यों के तहत की जाएगी।
बताते चलें कि जिलाधिकारी श्री अरविन्द सिंह कानूनी प्रक्रिया में विश्वास रखने वाले तथा किसी भी कानूनी प्रक्रिया के बिना कार्यवाही नहीं करते हैं। जब तक पूर्ण रूप से गोपनीय जांच एवं उचित संदेह से परे शिकायत की पुष्टि न हो, उनके द्वारा कठोर स्तर की कार्यवाही नहीं की जाती है।
जिलाधिकारी ने कुछ दिन पूर्व अपनी गैंगस्टर न्यायालय में विस्तृत जजमेन्ट/आदेश पारित किया था जिससे कि इस प्रकार के माफियाओं की कई करोड़ की सम्पत्ति स्थायी रूप से अब कुर्क रहेगी, इसका रास्ता साफ हो गया था। इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट ने अपने न्यायालय की प्रदत्त शक्तियों का समुचित प्रयोग करते हुए केन्द्रीय एजेन्सियों एवं केन्द्रीय अधिनियमों के तहत सृजित साक्ष्यों को अपनी कोर्ट में तलब करते हुए अपने विस्तृत 117 पन्ने के न्यायिक आदेश से इन गैंगस्टरों द्वारा धोखाधड़ी एवं गरीब कमजोर को डरा धमकाकर औने-पौने दाम में बैनामा करा करके कब्जाई गई जमीनों तथा सरकारी सम्पत्तियों का अपने तथा अपने प्रतिनिधियों के नाम करा ली गई जमीनों को न्यायालय की शक्तियों का निष्पक्ष एवं विधि सम्मत रूप से प्रयोग करते हुए सरकार के पक्ष में कुर्की का आदेश पारित करा दिया था।
दुर्भाग्य का विषय है पिछले 15 साल से थाना कोतवाली सादुल्लाह नगर के परिसर के अन्दर अर्थात बाउन्ड्री वाल के अन्दर की 730 वर्ग मीटर की बेशकीमती जमीन इन आरोपियों ने कूट रचना करके अपने प्राक्सी(प्रतिनिधि) संस्था के नाम दर्ज कराकर बिना अवरोध के उसका उपयोग कर रहे थे।
जब डीएम की वक्रदृष्टि इस पर छः माह पहले पड़ी तभी से इन माफियाओं के क्रिया कलापों की उलटी गिनती चालू हो गई और आज 72 घन्टे निरन्तर जगकर विधिक आवश्यकताओं को पूर्ण करते हुए डीएम व टीम ने *‘‘ऑपरेशन माफिया कमर तोड़’’* को अन्तिम चरण तक फलीभूत करने का कार्य किया।
डीएम ने फिर चेतावनी दी है कि माफिया सुधर जायें, गरीबो को सताना और दबाव बना करके औने-पौने दामों में उनकी जमीनों का बैनामा करा करके कब्जा करना तथा सरकारी जमीनों को कूटरचित तरीके से अपने या अपने प्राक्सी के नाम करा लेना बन्द कर दें अन्यथा डीएम द्वारा ऐसे लोगों को *‘‘ऑपरेशन माफिया कमर तोड़’’* के तहत अपने मन मस्तिष्क में चिन्हित कर लिया जाएगा।
लोकसभा चुनाव को जिला निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में शुचितापूर्ण, स्वंतत्र, निष्पक्ष एवं निर्भीक, माफिया मुक्त, अवैध धनबल मुक्त निर्वाचन कराने में जिला प्रशासन की पूर्ण कटिबद्धता है। इसके लिए अगर राजस्व, पुलिस, वन विभाग या किसी भी विभाग का कोई भी कर्मचारी/अधिकारी माफियाओं के सहयोग में आएंगे तो गैंगस्टर एक्ट की धारा-3(2), सपठित धारा-19, सपठित Cr.PC की धारा-167(ए), सपठित Cr.PC की धारा-167 के तहत जिला मजिस्ट्रेट को न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदत्त हैं और वह स्वयं अपने न्यायालय से ऐसे सरकारी सेवकों को न्यूनतम 60 दिन से लेकर 01 साल तक के लिए सीधे जेल भेज सकते हैं। इसलिए माफिया और माफियाओं से गठजोड़ करने वाले लोग सुधर जायें वरना उन्हे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में कोई संकोच नहीं किया जाएगा।