निकाय चुनाव-अपने ही जाल में फंसा विपक्ष
सपा के एक विधायक ने जो एक निकाय में पदासीन हुआ करते थे वहाँ ओबीसी सीट हो जाने के कारण अपने नज़दीकी से PIL दाखिल करवाकर जब सरकार को परेशान करना शुरू किया तो सपा के लोगों को मज़ा आया।
व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते पीआईएल कर्ताओं ने स्वयं इस इस बात की माँग कर दी कि सरकार अगर आयोग गठित करके आँकड़ा इकट्ठा करने में समय लेती है तो चुनाव बिना OBC आरक्षण के कर लिया जाय।
वहीं सरकार का कहना था कि अपने राज्य के क़ानून के तहत रैपिड सर्वे जो पिछले १२ साल के पंचायत और निकाय चुनावों में हुआ था वो किया गया है। और उसके आधार पर 5 दिसंबर 2022 को जारी अधिसूचना में ओबीसी को आरक्षण-27% सभी प्रकार की सीटों और पदों पर दिया गया है। न कम न अधिक।
फिर भी सपा प्रेरित तत्वों ने हाई कोर्ट में OBC आरक्षण के विरुद्ध अपनी लिखित और मौखिक दलीलें जारी रखीं और ओबीसी को आरक्षण न मिले उसके लिए क़ानूनी दांव पेंच चलते रहे।
आज नगर निकायों के इन चुनाव से संबंधित सपा प्रेरित 93 याचिकाओं पर माननीय उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय दिया।
सरकार ने इस निर्णय के प्रमुख भाग को तुरंत स्वीकारते हुए कहा कि वह आयोग गठित करेगी और ओबीसी को आरक्षण देकर ही चुनाव कराएगी। सपा अब अपने ही जाल में फँसी दिखाई दे रही है। जब इसके विधायक के वकील हाई कोर्ट में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव करने की दलील दे रहे थे तब सपा वाले सो रहे थे।
*सपा के विधायक के वकील ने ओबीसी के लिए नुक़सानकारक दलील दिया इसका स्वयं हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है। पराग्राफ-5.7, 5.8, 5.9. जब सपा प्रेरित याचिकाकर्ताओं के मन मुताबिक़ फ़ैसला आ गया तो अब सपा के लोग अपनी टोपी को सिर पर आगे पीछे घुमा रहे हैं।*
माननीय उच्च न्यायलय ने समर्पित आयोग के माध्यम से ट्रिपल टेस्ट कराकर चुनाव कराने की बात कही है।योगी सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। प्रदेश के नगर विकास मंत्री श्री शर्मा ने तुरंत यह स्पष्ट कर दिया कि आयोग बनाकर ज़रूरी सर्वे किया जाएगा लेकिन बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं होंगे। ज़रूरत पड़ी तो सरकार सुप्रिम कोर्ट जाएगी।
सपा प्रेरित याचिकाकर्ताओं की मांग और दलील थी कि OBC आरक्षण के बिना चुनाव कराया जाय। इस विषय में योगी सरकार का स्पस्ट मत दिखा कि OBC सहित समाज के सभी वर्गों का निकाय चुनाव में प्रतिनिधित्व होना चाहिए ।यह सरकार की संविधानिक, राजनैतिक एवं सामाजिक प्रतिबद्धता है।अतः OBC आरक्षण देते हुए ही चुनाव कराए जाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध दिख रही है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि ओबीसी को पूर्ण आरक्षण देने की दिशा में ही 5 दिसम्बर को आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी की गई थी । जिसमें OBC के लिए सभी प्रकार की सीटों और पदों पर 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी।
*लेकिन एक निकाय में ओबीसी सीट होने के चलते सपा ने ओबीसी का अहित कर डाला। अब योगी और ए. के. शर्मा फिर से ओबीसी के अधिकार के लिए यहाँ से सूप्रिम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे।*
इधर सारी तैयारियाँ होने के बावजूद विपक्ष की स्वार्थी राजनीति के चलते निकाय चुनाव में देर होगी ऐसा लगता है।