यूपी कैबिनेट मंत्री राकेश सचान पर आरएसएस से जुड़ी संस्था ने लगाए 72 औद्योगिक प्लॉट होने के आरोप, क्या बोले मंत्री
लखनऊ-उत्तर प्रदेश के एमएसएमई (लघु, कुटीर और मध्यम उद्योग) विभाग के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान पर फ़तेहपुर ज़िले के औद्योगिक क्षेत्र में उनके नाम 72 भूखंड होने का आरोप सामने आया है।
यह आरोप लघु उद्योग भारती संस्थान के ज़िला अध्यक्ष ने लगाया है और इस बारे में राज्य के उद्योग विभाग के आयुक्त से शिकायत की गई है।
वहीं इस आरोप के सार्वजनिक होने के बाद मंत्री राकेश सचान ने मीडिया में बयान दिया है कि, “वहां कोई (प्लॉट) लेना नहीं चाहता है, सब ज़बरदस्ती दे दिए हम लोगों को. तो हम तो वापस ही कर रहे हैं.”
वैसे इस मामले में अब तक उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है.
सत्येंद्र सिंह, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती फतेहपुर.
क्या है ‘लघु उद्योग भारती’ जिसने लगाए मंत्री पर आरोप?
आरएसएस की वेबसाइट पर भी इस बात का ज़िक्र है कि 1994 में लघु उद्योग भारती का गठन हुआ. लघु उद्योग भारती के कामकाज के बारे में ज़्यादा जानकारी आरएसएस की वेबसाइट पर मौजूद नहीं है।
लेकिन इसके फ़तेहपुर ज़िला इकाई के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह का दावा है कि आरएसएस से संबंधित संस्था 1994 से लघु उद्योगों के लिए काम कर रही है और देश के 350 से अधिक ज़िलों में इनकी पूर्ण इकाई है।
सत्येंद्र सिंह का दावा है कि यह एक ऐसी संस्था है जो उद्यमियों से जुड़े उनके मुद्दों को समय समय पर उठाती रहती है और उनका शासन से समन्वय बनाने का काम करती है।
सत्येंद्र सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश के फतेहपुर ज़िले में लघु उद्योग भारती पिछले एक साल से काम कर रही है और वो कहते हैं कि, “फतेहपुर जनपद के उत्थान के लिए उन्हें ज़िले का संगठन अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।”
उन्होंने यह भी बताया कि जब उत्तर प्रदेश में 2023 इन्वेस्टर समिट के आयोजन का फै़सला लिया गया तो फिर लघु उद्योग भारती उसके प्रचार-प्रसार के लिए और लोगों को उससे जोड़ने के लिए ज़िले स्तर पर उतरी।
क्या है मामला?
सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि फतेहपुर में उत्तर प्रदेश सरकार के उद्योग को बढ़ावा देने वाली नीतियों का प्रचार करते वक्त उन्होंने स्थानीय लोगों से उनके मुद्दों को समझने के नज़रिए से बात की।
उन्हें फतेहपुर के लोगों से पता चला कि, “वो उद्योग लगाने के लिए तैयार हैं लेकिन औद्योगिक स्थानों में ज़मीन तो आवंटित कर दी गई हैं लेकिन एक भी इकाई नहीं चल रही है. और एमएसएमई विभाग के मंत्री राकेश सचान के नाम पर ही 72 प्लॉट निकले और यही मैंने अपने लेटर में लिखा है।”
बीबीसी को इस लेटर की प्रति सत्येंद्र सिंह से मिली है. उद्योग निदेशालय की कानपुर इकाई के आयुक्त एवं निदेशक को सम्बोधित इस पत्र में सत्येंद्र सिंह ने लिखा है कि, “फ़तेहपुर के मिनी औद्योगिक केंद्र चकहता में 36 भूखंड हैं जिनमें से 32 आवंटित हैं और चार रिक्त हैं. 32 भूखंड में एक भी इकाई स्थापित नहीं है. 32 प्लॉट एक ही व्यक्ति (राकेश सचान) के नाम से आवंटित हैं. जिनका पता अज्ञात है।”
पत्र के अनुसार, “मिनी औद्योगिक स्थान सुधवापुर में कुल 45 भूखंडों में से 40 आवंटित तथा 5 रिक्त हैं. आवंटित भूखंडों में 1 इकाई है जो स्थापित नहीं है. 40 भूखंड एक ही व्यक्ति राकेश सचान के नाम है जिनका पता अज्ञात है।”
सत्येंद्र सिंह का दावा है कि कुल मिलाकर 7000 से 7500 वर्ग मीटर के 72 प्लॉट मंत्री राकेश सचान के नाम पर आवंटित हैं. उनका दावा है कि ये आवंटन 2012 में तब हुए थे जब राकेश सचान सांसद हुआ करते थे और उन्होंने इन भूखंडों के आवंटन के लिए निर्धारित शुल्क भी नहीं जमा कराए थे।
हालांकि सचान को ये भूखंड कब आवंटित हुए हैं, इसके बारे में तथ्यात्मक जानकारी सामने नहीं आयी है. सत्येंद्र सिंह की मांग है कि इन आवंटनों को रद्द किया जाए और इन्हें नए उद्यमियों को आवंटित किया जाए।
इस आवंटन विवाद से जुड़ी एक तस्वीर भी वायरल हो रही है जिसमें फ़तेहपुर के चकहाता में एक अस्थायी गौशाला भी नज़र आ रही है।
तो क्या लघु उद्योग के लिए आवंटित ज़मीन पर अस्थायी गौशाला भी बनी हुई है?
इस बारे में सत्येंद्र सिंह कहते हैं, “एक अस्थायी गौशाला उस प्लॉट पर बनाई गई है. और यह प्लॉट भी मंत्री राकेश सचान के नाम पर है।”
मंत्री का क्या कहना है?
राकेश सचान ने मीडिया से कहा आवंटन खुली प्रक्रिया है. डीएम की अध्यक्षता में चयन समिति है. आप आवेदन करेंगे, आपको मिलेगा. अभी एक में गौशाला बना रखा है. जहाँ अच्छा इंडस्ट्रियल एस्टेट है वहां कोई लेना नहीं चाहता है. सब ज़बरदस्ती दे दिए हम लोगों को. तो हम तो वापस ही कर रहे हैं. उनको कहाँ हम लोग ले रहे हैं।
जब कुछ पत्रकारों ने 72 प्लॉट आवंटन को लेकर सवाल किया कि और कितने लोगों को ऐसे प्लॉट मिले थे तो इसके जवाब में मंत्री ने कहा ये बेरोजगारों को फ्री में थोड़े ही ना आवंटित हो रहे थे।
बिना दस प्रतिशत राशि के भुगतान के आवंटन को लेकर भी मंत्री का जवाब था, “लोग अभी भी नहीं ले रहे हैं. इतने खाली पड़े हैं, हम तो कह रहे हैं कि आकर लीजिए।
हालांकि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की वेबसाइट पर राकेश सचान का जो चुनावी हलफ़नामा मौजूद है, उसमें इन संपत्तियों का ज़िक्र नहीं है।
राकेश सचान की जिन संपत्तियों का विवरण वहां शामिल हैं, उसमें ग़ाज़ियाबाद, नोएडा, कानपुर और लखनऊ में कुल छह गैर कृषि भूखंड का ज़िक्र है।
बीबीसी ने भी राकेश सचान से इन आरोपों के बारे में बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे फ़ोन पर संपर्क नहीं हो पाया और उनके निजी सचिव ने बताया है कि वो बस्ती ज़िले में किसी कार्यक्रम में व्यस्त हैं।
उनकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद इस ख़बर को अपडेट किया जाएगा।
आवंटनों को कैंसिल करने की मांग
सत्येंद्र सिंह कहते हैं, “हम यह चाहते हैं कि जनपद को आगे बढ़ाना है तो इनके इन आवंटनों को कैंसिल करके छोटे उद्यमियों को दिया जाए. हम लोग सच्चाई की राह पर हैं। सच को बताने में कोई संकोच नहीं है। ग़लत को ग़लत बताया जाएगा, सच को सच।”
तो क्या नैतिकता के आधार पर मंत्री को अपने पद से इस्तीफ़ा देना चाहिए? इस सवाल के जवाब में सत्येंद्र सिंह कहते हैं, “आज की तारीख में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की साफ़ छवि है. ऐसे भ्रष्ट नेताओं को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि वो अपने विकास के अलावा विभाग का विकास करेंगे।
“देश को योगी जी और मोदी जी जैसे नेताओं की ज़रूरत है जो जनता के हित के लिए काम करे. कुछ नेताओं के लिए पूरी सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता है।”
कौन हैं राकेश सचान?
राकेश सचान पहले समाजवादी पार्टी से लोक सभा सांसद रह चुके हैं और उनकी भाजपा में एंट्री 2022 के विधानसभा चुनाव में ही हुई जब वो पार्टी के टिकट से विधायक चुन कर कैबिनेट मंत्री बनाए गए।
उन्हें फतेहपुर में कुर्मी बिरादरी का कद्दावर नेता माना जाता है और भाजपा में शामिल होने के ठीक पहले वो कांग्रेस में थे।
फतेहपुर में स्थानीय पत्रकार संदीप केसरवानी ने बताया, “भाजपा में रहते हुए यह कुर्मियों का भी प्रतिनिधित्व कर रहे है।घाटमपुर से चुनाव जीतने के बाद मंत्री बनाए गए और कांग्रेस में प्रदेश महासचिव थे. हाल ही में इन्हे फतेहपुर ज़िले का प्रभारी मंत्री बनाया गया है।
लेकिन क्या इस घटना के बाद उनके राजनीतिक करियर पर असर पड़ेगा? संदीप केसरवानी कहते हैं। “बिलकुल पड़ सकता है, क्योंकि यह ज़मीन आवंटन की बात उनकी सपा की सांसदी के कार्यकाल के दौरान की घटना है।
हालांकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से उनके जुड़ाव को देखते हुए यूपी में विपक्ष की ओर से इस आवंटन को लेकर कोई मुद्दा नहीं बनाया गया है।
राकेश सचान ने अपनी राजनीतिक पारी 1993 में समाजवादी पार्टी से की थी. 2009 में वो समाजवादी पार्टी के टिकट से लोकसभा गए थे।यह आवंटन का मामला उनके इसी कार्यकाल का है। 2014 में वे सपा के टिकट पर चुनाव हार गए थे।
2019 में इन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली और 2022 में चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से जुड़ गए थे।