82 करोड़ की लागत से 455 ग्रामों में जगेेगी स्वच्छता की अलख
डीएम के प्रयासों से स्वच्छ भारत मिशन के तहत 38 करोड़ 75 लाख का मिला बजट, 455 ग्रामों में होंगे कार्य
स्वच्छ भारत मिशन फेज-2 के तहत जिले के 455 राजस्व ग्रामों में स्वच्छता की अलख जगाई जाएगी। डीएम श्री अरविन्द सिंह के प्रयासों से जिले की 404 ग्राम पंचायतों के 455 राजस्व ग्रामों में स्वच्छता कार्यक्रम संचालित किये जाएगें। इसके लिए शासन से स्वच्छ भारत मिशन के तहत 38 करोड़ 76 लाख 53 हजार 174 रूपए का बजट प्राप्त हो गया है, जिसे धरातल पर उतारने के लिए खाका तैयार कर लिया गया है और जिम्मेदार अधिकारियों को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
जिलाधिकारी श्री सिंह ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन फेज-2 के तहत सरकार द्वारा चिन्हित जिले के 455 राजस्व ग्रामों में 82 करोड़ 27 लाख 13 हजार 152 रूपए की लागत से कार्य कराये जाएगें जिसमें एसबीएम के तहत 38 करोड़ 76 लाख 53 हजार 174 रूपए, 15वें वित्त से 17 करोड़ 4 लाख 57 हजार 876 रूपए व अन्य मदों की धनराशि शामिल है। उन्होंने बताया कि चयनित 455 ग्रामों में विकासखण्ड बलरामपुर के 74, गैंड़ास बुजुर्ग के 18, गैसड़ी के 60, हर्रैया के 68, पचपेड़वा के 55, रेहरा के 46, श्रीदत्तगंज के 33, तुलसीपुर के 70 तथा उतरौला ब्लाक के 31 ग्राम शामिल हैं।
जिलाधिकारी ने बताया कि सार्वभौमिक स्वच्छता प्राप्त करने के लिए किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाने के लिए और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन फेज-2 के तहत गाम पंचायतों में कार्य कराने की कार्ययोजना के क्रम में बहुप्रतीक्षित बजट प्राप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि फेेज-2 में ग्राम पंचायतों में तीन तरह के कार्य ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तरल अपशिष्ट प्रबंधन तथा मलीय कचरा प्रबंधन के कार्य कराए जाएगें। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण के तहत ओडीएफ प्लस गतिविधियां ओडीएफ व्यवहार को सुदृढ़ करेंगी और गांवों में ठोस एवं तरल कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए मध्यवर्तन करने पर ध्यान केंद्रित करने का कार्य किया जायेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि ठोस प्रबंधन में व्यक्तिगत खाद गड्ढा, कम्पोस्ट पिट, व्यक्तिगत वर्मी कम्पोस्ट, सामुदायिक वर्मी कम्पोस्ट, सामुदायिक नाडेप, कचरा पात्र, प्लास्टिक बैंक, कचरा वाहन, ठेलिया, ई-रिक्शा स्वच्छता किट, रिकबरी रिसोर्स सेन्टर का निर्माण तथा कूड़ा भस्मक आदि कार्य कराये जाएगें।
इसी प्रकार तरल अपशिष्ट प्रबंधन में व्यक्तिगत सोकपिट, सामुदायिक सोक पिट, सिल्ट कैचर, फिल्टर चैम्बर, तालाबों का सौन्दर्यीकरण, अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब, नालियों का निर्माण, हैण्डपम्प प्लेटफार्म, लैट्रोफिटिंग, हैण्डपम्पों पर सोकपिट तथा किचन गार्डेन निर्माण के कार्य शामिल हैं। मलीय अपशिष्ट प्रबंधन में लीच पिटिंग का कार्य प्रमुख है। उन्होंने बताया कि प्राप्त बजट के सापेक्ष कार्ययोजना के अनुसार गुणवत्तापूर्ण कार्य कराने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दे दिये गये हैं।