पराली के प्रबंधन के लिए कृषकों को कृषि यंत्र पर दिया जाएगा 50 प्रतिशत अनुदान -जिलाधिकारी
पराली को ना जलाएं कृषक भाई डिकंपोज करते हुए उसका खाद के रूप में करें प्रयोग -जिलाधिकारी
पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने एवं पराली प्रबंधन के संबंध में जिलाधिकारी श्री अरविंद सिंह द्वारा संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए।
उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन प्रयोजन के लिए विशेष निर्मित कृषि यंत्र के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार करते हुए उनकी जानकारी कृषकों को प्रदान किए जाने का निर्देश दिया। कृषकों को इन कृषि यंत्रों हेतु 50 प्रतिशत अनुदान तथा कृषि उत्पादन संघ एवं ग्राम पंचायत को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु 80 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि कृषक भाईयो को पराली को न जलाने तथा इसका प्रयोग पशु चारा, कंपोस्ट खाद बनाने ,बायोकोल, बायो फ्यूल एवं सीबीजी आदि के रूप में प्रयोग के बारे में जागरूक किया जाए।
इसके लिए पूरे जनपद में 24000 बायो डी कंपोजर बोतल/ कैप्सूल का वितरण कृषकों को निशुल्क किया जाएगा। बायो डी कंपोजर की एक बोतल/कैप्सूल पैक 1 एकड़ क्षेत्रफल में पर्याप्त होती है। डीकंपोजर के प्रयोग से शीघ्रता से फसल अवशेषों को सड़ाया जा सकता है।
जिलाधिकारी महोदय ने निर्देश दिया कि डी कंपोजर का उपयोग पराली को कंपोस्ट बनाकर कृषक के खेत में इन सीटू प्रबंध कर तथा सामुदायिक तौर पर प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए सामुदायिक स्थलों पर कंपोस्ट खाद के लिए गड्ढे का खुदान कराया जाए।
उन्होंने किसानों से पराली संग्रह कर निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल पर लाने का निर्देश दिया। इसके लिए विशेष कार्य योजना बनाएं जाने का निर्देश दिया। विशेषकर जिन कृषकों के खेत में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं गत वर्षो में सामने आई है उन कृषकों के खेत पर सतत दृष्टि रखी जाए तथा उनको पराली प्रबंधन हेतु प्रेरित किया जाए तथा उनसे भी पराली संग्रह कर गौशालाओं में दान कराई जाए। जनपद में विशेष अभियान पराली दो खाद लो कार्यक्रम का संचालन कराया जाए।
जनपद के समस्त ग्राम में लेखपाल, सचिव के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष जलाने पर अर्थ दंड के प्रावधानों से अवगत कराए जाने का निर्देश दिया।