कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी नफरत मिटाएंगे या कांग्रेस ?

कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी नफरत मिटाएंगे या कांग्रेस ?

कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का बयान आया है कि वे देश में से नफरत मिटाने निकले हैं। कांग्रेस के ही बड़े नेता इस बयान पर मुझे कह रहे हैं कि भाई साहब हमारा नाम उजागर मत करना पर तुम लिख सकते हो इसलिए हम तुम्हारे माध्यम से यह यक्ष सवाल पूछ रहें हैं कि जब से देश की राजनीति में राहुल गांधी का अवतरण हुआ है तब से ही कांग्रेस का ग्राफ लगातार नीचे गिरता जा रहा है। राहुल नफरत मिटाने की बात लंबे समय से कर रहे हैं पर देश से नफ़रत मिटाने की वजह से पुराने कांग्रेसी दूरियां बनाने लगे हैं। ये कर्मठ कांग्रेसी कहते हैं कि हमने कांग्रेस को अपने खून पसीने से सींचा है और कांग्रेस राहुल गांधी के प्रकट होने के बाद से कांग्रेस पार्टी सिमट सिमट कर जर्जर हो गई है। कांग्रेस के सिमटने से हम तो लगातार मिट ही रहे हैं। मगर कांग्रेस भी सिमट रही है। कांग्रेस के ये नेता मुझ से यह भी पूंछते रहते हैं कि इस मर्ज की दवा क्या है? भाई साहब आप का पत्रकार होने की वजह से सब जगह उठना बैठना है जरा राहुल गांधी से पूंछो कि देश में वे किसे नफरत मानते हैं? देश को या पुराने कांग्रेसी नेताओं से? आज कल वे किसे मिटाने निकले हैं? *कांग्रेस को या नफरत को?* इन नेताओं को पता नहीं यह वहम क्यूं है कि राहुल गांधी कहीं किसी गफलत में तो नहीं हैं? *कहीं वे ईमानदार और सच्चे कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही तो नफरत नहीं समझ बैठे* हैं? *मिलिंद देवड़ा के पार्टी से रुखसत होने पर बड़े दुखी मन से कह रहे हैं कि हमारे पप्पू ने ऐसा झंडा गाड़ा है कि पिछले कुछ सालों में ही एक दर्जन से ज्यादा पार्टी के वफादार और अनुभवी नेता पार्टी से उखाड़ दिए हैं।* मैंने मौका देख चौका लगाकर इन नेताओं की अक्ल पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हो गया है आप लोगों की अक्ल को? क्या कोई मालिक ही अपने घर को कभी आग लगा कर नष्ट करने की सोच सकता है? यारों ये नेता मुझ पर खूब हंसे और बोले कि अब तो मानना पड़ेगा। वे कहते हैं कि भाई आप ने पढ़ना लिखना छोड़ दिया है लगता है बे-फिजूल की बातों में उलझ गए हो? इसीलिए, वे बोलते हैं कि अरे आप को क्या पता कि बहुत पहले ही एक बड़े शायर महताब राय तांबा शायद हमारी कांग्रेस के लिए ही लिख कर चले गए कि..….
*दिल के फफोले जल उठे सीने के दाग से,*
*इस घर को आग लग गई घर के चिराग़ से।*
हम सोच में पड़ गये कि ऐसे संगठन भक्त लोग भी क्या अभी कांग्रेस में जिंदा हैं? जो अपने मातृ-संगठन को बचाने की चिंता में इस कदर डूबे जा रहें हैं। आंखें खोलने के लिए ये लोग कांग्रेस के उन दिग्गजों की लिखी वास्तविक किताबें भी ले आए जिनमें *कुंवर नटवर सिंह और गुलाम नबी आजाद* जैसे विश्वासपात्र और निर्णायक नेताओं ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के ऐसे ऐसे राज खोलें हैं कि उन्हें जानकर देशवासियों की आंखें तो दिन रात खुली ही रहती हैं। दोनों नेताओं ने अलग अलग समय में लिखी अपनी किताबों में एक बात तो समान रूप से साफ़ तौर पर कहने की हिम्मत की है कि छोटे लोगों को महान दिखाने का बडा जाल बुनकर कुछ कांग्रेस के धंधे बाज लोगों ने कांग्रेस के ही सफाए की ऐसी सुपारी ले रखी है है कि देश की सबसे बड़ी पार्टी *कांग्रेस* मानों *पटरानी से दासी* बन गई है *गुलाम नबी आजाद* कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस अपनी मौलिकता ही भूल गईं। एक परिवार को ईमानदार, सिद्धांत वादी, त्यागी, तपस्वी, का लबादा ओढ़ाया गया और ऐसा आभा मंडल राहुल गांधी के इर्द गिर्द बनाया गया है कि जैसे कि राहुल गांधी के मुकाबले का आइडियल नेता भारत तो छोड़ो कोई विश्व में भी कहीं नहीं है। पर हम अपनी गंवारु भाषा में कहें तो इन कांग्रेस के आजाद हुए नेताओं ने राहुल गांधी के इर्द गिर्द रहने वाले लंपटों के लिए यहां तक कह दिया कि इन लोगों ने इस परिवार को कभी जमीन पर उतरने ही नहीं दिया। चंद लोग अपने चश्में से राहुल गांधी को दुनिया दिखाने का काम करते हैं। दिन भर आरती उतारी जाती है और इनके लिए यही गीत गाया जाता कि ये विशिष्ट जन हैं इनकी तुलना किसी से भी कैसे की जा सकती है? यारों कांग्रेस को बर्बाद करने वाले लंपटों ने जो यहां झूठा और फरेब का आभा मंडल बना रखा है, राहुल उसी झूंठे मुखौटे के सहारे अपने दिन काट रहे है। कांग्रेस के कुछ जिम्मेदार कर्मठ नेता कह रहे हैं कि देश का संविधान बचाने निकले राहुल जी जनवरी 2013 में कांग्रेस के संविधान के ऊपर ही बैठ गए थे। जयपुर में हुए अधिवेशन में राहुल ने आज़ादी से पहले बनी कांग्रेस पार्टी के नियम कायदे ताक पर रखकर उपाध्यक्ष बन कर नया इतिहास रचा था दरअसल इससे पहले कांग्रेस में राहुल के सिवा कभी कोई राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नहीं बना था। उनके बाद अब भी कोई नहीं है। गांधी परिवार के करीबी नेता *श्री नटवर सिंह अपनी किताब में प्रमाणिक तौर पर लिखते हैं* कि यदि कुछ कर लेनें की धमकी सोनिया गांधी को राहुल ने उस समय नहीं दी होती तो वे प्रधानमंत्री जरुर बन गई होती। अपनी मम्मी को प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए राहुल गांधी कभी नहीं देखना चाहते थे। सोनिया जी को पीएम नहीं बनने देने के लिए कुछ भी कर लेंने की धमकी के पीछे इस दूरदर्शी नेता की कौन सी दूरदर्शिता थीं इसे देश को समझने में बहुत समय लगेगा। इस एक मात्र नेता के कारण कांग्रेस के दर्जनों होनहार नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी छोड़कर जाते हुए सबने देखा है। कांग्रेस के भारी भरकम नेता राहुल गांधी और उनके इर्द गिर्द घूम रहे लंपटों के कारण कांग्रेस किस हाशिए पर पहुंच गई है इसकी ज्यादा चर्चा माथा-पच्ची किसी से छिपी नहीं है। कांग्रेस के शुभ चिंतक और श्रीमती सोनिया गांधी के होते हुए यह सब हुआ है अपने खिल खिलाते बाग को उजड़ते देखने की पीड़ा हम बहुत अच्छे से समझते हैं। यह सब होने देने के पीछे कांग्रेस की और सोनिया जी की बेबसी नहीं
*तो फिर क्या है ?*
कुछ लोग कांग्रेस पर लिखे गए आलेखों पर तल्ख़ होकर सलाह देते हैं भाई साहब बीजेपी का दौर है मोदी की हवा है थोड़ा रुको हमारा घोड़ा भी दौड़ेगा हमारा बगीचा भी हरा-भरा होगा हमने देखो इडी के नाम पर कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा जोड़ा है। अब हम उन कम अक्ल इन्सानो और इन बुद्धिजीवियों को कैसे समझाये?
अरे…
*इन चिरागों में तेल ही कम था,*
*क्यूं गिला फिर. हमें हवा से रही ?*
यह बात सुनकर कांग्रेसी गंभीर होकर बोलते हैं कि भाई साहब ये शायर लोग भी देखो विपक्षियों की तरह हमें पता नहीं क्या क्या कह जाते हैं प्रसिद्ध कवि अब्दुल मजीद उछल उछल कर…
*अब इन चरागों में रौशनी कम है,*
*दिल जलाओ कि.. रौशनी कम है।*
राम राम करने से पहले आज इतना ही कि कांग्रेस के हमारे मित्र कह रहे हैं कि *हमारा दिल खूब जल रहा है फिर भी रौशनी नहीं है।* इसी बीच कांग्रेस के एक सीनियर बड़े और बुजुर्ग खड़गे जैसे नेता की कर्कश और हांफती हुई दहाड़ सुनाई देती है कि *दिल जलेगा तो रौशनी भी ज़रूर होगी* हमारे कार्यकर्त्ता और नेता विचलित नहीं होंगे।
*लग गई आग मेरे घर में तो बचा ही क्या है?*
*ओर बच गया मैं तो फिर जला ही क्या है?*

*बी एस कटारिया दिल्ली प्रभारी*

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