फसलों के अवशेष जलाये जाने से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण की रोकथाम हेतु जिलाधिकारी द्वारा दिशा-निर्देश किया गया जारी
बलरामपुर- जिलाधिकारी अरविन्द सिंह द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन एवं फसल अवशेष नहीं जलाने के सम्बन्ध में जनपद के किसानों को जागरूक करने एवं फसल अवशेष जलाये जाने से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम हेतु दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ यथा सम्भव सुपर एस.एम.एस. का प्रयोग किया जाये जिससे पराली प्रबन्धन कटाई के समय ही हो जाये । सुपर एस. एम. एस. के विकल्प के रूप में अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन के यन्त्र जैसे-स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक व बैलर, मल्चर, पैडी स्ट्राचापर, श्रबमास्टर, रोटरी स्लेशर, रिवर्सिबुल एम. बी. प्लाऊ का भी प्रयोग कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ किया जाये, जिससे खेत में फसल अवशेष बण्डल बनाकर अन्य उपयोग में लाया जा सके अथवा काटकर मिट्टी में मिलाया जा सके । कम्बाईन हार्वेस्टर के संचालक की जिम्मेदारी होगी कि कटाई के दौरान उपरोक्त समस्त व्यवस्था स्वयं सुनिश्चित कराते हुये कटाई का कार्य करेगें ।
यदि कम्बाइन स्वामी द्वारा बिना फसल अवशेष प्रबन्धन के यंत्रों यथा एस. एम. एस. स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक आदि का उपयोग किये बिना कम्बाइन का प्रयोग किया जाता है, तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
यदि कोई किसान बिना पराली को हटाये रबी की बुवाई के समय जीरो टिल सीड कम फर्टी ड्रिल, हैपीसीडर या सुपर सीडर का प्रयोग कर सीधे बुवाई करना चाहता है या फिर डीकम्पोजर का प्रयोग कर पराली का प्रबन्धन करना चाहता है तो ऐसे किसान अनिवार्य रूप से इस आशय का घोषण पत्र सम्बन्धित उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी को देगें कि उसके द्वारा पराली नहीं जलायी जायेगी, अपितु रबी की बुवाई के समय उक्त यन्त्रों/डीकम्पोजर का प्रयोग किया जायेगा ।
यदि जनपद में उक्त शिथिलता/संशोधन का दुरूपयोग कर पराली जलाने की घटनायें प्रकाश में आती हैं तो जिलाधिकारी अधिकृत होगें कि वह कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ सुपर एस. एम. एस. लगाये जाने की अनिवार्यता की पूर्व व्यवस्था अपने स्तर पर लागू कर लें ।
उन्होंने जनपद के समस्त कृषक बंधुओं से अपील किया है कि फसल अवशेष को न जलाये तथा अपनी मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाये। पराली प्रबन्धन किये जाने हेतु अधिक से अधिक पराली को मिट्टी में मिलाकर, कम्पोस्ट खाद्य बनाकर, गौशालाओं/गौसेवकों को उपलब्ध कराएं।