जल संसाधनों के उपयोग से किसानों की समृद्धि के लिए डीएम का विशेष प्रयास, मत्स्य पालन को चलेगी विशेष मुहिम
डीएम ने ग्राम पेहर में मत्स्य विभाग की आरईएस तकनीकी का किया निरीक्षण, लाभार्थी से की वार्ता, व्यवसाय की प्रगति एवं मार्केटिंग के बारे में ली जानकारी
*गन्ना एवं धान के इतर बागवानी एवं मत्स्य पालन जैसे कृषक व्यवसाय से जुड़कर कृषक कमाए अच्छा मुनाफा – डीएम*
दिनांक – 11 जनवरी 2024
जनपद जो की बाढ़ जैसी आपदा से प्रभावित है, ऐसे में जल संसाधन के उपयोग से किसान आर्थिक उन्नयन की ओर बड़े इसके लिए डीएम श्री अरविंद सिंह द्वारा नई पहल की जा रही है। धान एवं गन्ना की खेती के इतर बागवानी एवं मछली उत्पादन जैसे कृषि व्यवसाय की किसानों को जोड़े जाने को मुहिम चलाए जाने पर डीएम द्वारा विशेष जोर दिया जा रहा।
इसी क्रम में डीएम श्री अरविंद सिंह द्वारा विकास खंड उतरौला के ग्राम पेहर में मत्स्य विभाग की परियोजना परिसंचरणीय जलकृषि प्रलाणी (आरईएस) का निरीक्षण किया गया ।
इस दौरान डीएम ने परिसंचरणीय जलकृषि प्रलाणी (आरईएस) को देखा एवं विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने लाभार्थी के वार्ता किया। लाभार्थी ने बताया की 50 लाख की लागत से परिसंचरणीय जलकृषि प्रलाणी (आरईएस) का निर्माण कराया है ,जिसमे 60 प्रतिशत सब्सिडी मत्स्य विभाग द्वारा दिया गया,आरईएस में
08 टैंक बनाए गए है जिसमें कुल 32 टन मछली उत्पादन किया जा रहा है। लाभार्थी ने बताया की उसके द्वारा बड़ी व छोटी मछलियों का पालन किया जा रहा है,मछली की 01 क्रॉप बेचने पर 05 से 06 लाख का लाभ होता है। मछली की 01 क्रॉप पांच से छह महीने में तैयार होती है।
डीएम ने कहा की किसान गन्ना एवं धान के इतर बागवानी एवं मत्स्य पालन से जुड़कर कृषक व्यवसाय की ओर बड़े एवं अच्छा मुनाफा कमाए। जनपद जो बाढ़ जैसी आपदा से प्रभावित है,यहां जल संसाधन का उपयोग बागवानी एवं मछली उत्पादन में करकर अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कृषक मत्स्य पालन से जुड़कर नई तकनीकी के प्रयोग से अच्छा लाभ कमाए।
जनपद में बड़ी मात्रा में मछली का निर्यात आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना जैसे राज्यों से हो रहा हैं,जो की दुर्भाग्यपूर्ण है, जनपद की लखनऊ से कनेक्टिविटी की अच्छी उपलब्धता बड़ी संख्या में मछली का ट्रांसपोर्ट किया जा सकता हैं।
उन्होंने समस्त बीडीओ एवं सहायक निदेशक मत्स्य को निर्देश दिए की जनपद से सभी तालाबों को उपयोगी बनाते हुए मत्स्य पालन को बढ़ावा दें।