भाजपा की अगली सूचियों में दिख सकते हैं कई बदले चेहरे, इन सांसदों को लेकर बनी असमंजस की स्थिति
नई दिल्ली- लोकसभा चुनाव में 370 पार सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा ने चुनावी बिसात पर अपने मोहरे सजाना शुरू कर दिया है। 195 उम्मीदवारों की पहली सूची में मौजूदा सांसदों की दावेदारी पर भाजपा ने भले ही बहुत कम कैंची चलाई हो, लेकिन दूसरी और तीसरी सूची में तुलनात्मक रूप से कई बदले चेहरे दिखाई दे सकते हैं। जिन सीटों को अभी प्रतीक्षा में रखा गया है, उनमें उन सांसदों के नाम भी हैं, जिन पर तलवार लटके होने की चर्चा थी। साथ ही कई सीटों पर असमंजस के अलावा विपक्षी दलों के दांव पर भी पार्टी की नजर है।
भाजपा ने 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 195 प्रत्याशियों की सूची शनिवार को घोषित कर दी। इनमें पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से प्रत्याशी पवन कुमार के चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद 349 सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाने बाकी हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि में सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़े जाने के बाद बाकी सीटों के लिए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है।
*6मार्च को आ सकती है उम्मीदवारों की दूसरी सूची*
सूत्रों के अनुसार, छह मार्च को केंद्रीय चुनाव समिति की दूसरी बैठक के बाद उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी हो सकती है। माना जा रहा है कि प्रचंड जीत की रणनीति के तहत विवादित और कुछ निष्कि्रय सांसदों से परहेज कर रही भाजपा दूसरी और तीसरी सूची में टिकट काटने के लिए अपनी कैंची की धार को तेज कर सकती है। पहली सूची में पार्टी ने 195 सीटों पर 33 सांसदों के टिकट काटे हैं। जो सीटें अभी घोषणा से बची हैं, उनमें बहुत सी सीटें कई कारणों को लेकर चर्चित हैं या कहें कि उन पर पार्टी असमंजस में है।
*बिहार व उत्तरप्रदेश में भी दिखेगा बदलाव*
मसलन, उत्तर प्रदेश की पीलीभीत से अपनी ही पार्टी के खिलाफ मुखर रहने वाले वरुण गांधी, सुल्तानपुर से मेनका गांधी, विवादों में फंसे कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह या सनातन धर्म को अपशब्द कहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य को बदायूं से दोबारा टिकट मिलेगा या नहीं? सहारनपुर से राघव लखनपाल शर्मा रेस में फिलहाल आगे चल रहे हैं लेकिन वहां से टिकट की रेस में अभय राणा एवं दिपांकर जी महाराज भी अपनी इस रेस में अच्छी पकड़ बनाए हुए है देशभर में इस तरह की सीटों पर प्रत्याशी परिवर्तन लगभग तय है। बिहार में बदलाव दिखेंगे।
*बीजेपी के दूसरी और तीसरी सूची में दिखेगा बदलाव*
इसके अलावा कई सीटें रायबरेली और मैनपुरी जैसे समीकरणों में फंसी हैं, जहां भाजपा विपक्षी किले को ध्वस्त करने के लिए जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों को उम्मीदवारों के सहारे दुरुस्त करना चाहती है। इनमें सबसे अंत में वह सीटें हो सकती हैं, जहां भाजपा के रणनीतिकार प्रमुख विपक्षी दलों के प्रत्याशियों को देखकर अपना दांव चलना चाहते हैं। इनमें वह सीटें अधिक होंगी, जहां भाजपा पिछली बार हारी थी। इस तरह माना जा रहा है कि दूसरी और तीसरी सूची में वर्तमान सांसदों के टिकट भी तुलनात्मक रूप से अधिक काटे जाएंगे।