लोकतंत्र के यज्ञ की प्रथम आहुति से पहले
अठारहवीं लोकसभा के लिए 19 अप्रैल 2024 को मतदान का पहला चरण है । आप इसे डूबते,मरते,सिसकते लोकतंत्र के पुनर्जीवन के लिए होने जा रहे महामृत्युंजय यज्ञ की प्रथम आहुति भी कह सकते हैं। दरअसल ये शब्द इसलिए इस्तेमाल कर रहा हूँ ताकि घोर सनातनियों की समझ में भी ये बात आ जाये कि यज्ञ में आहुति आँखें बंद कर नहीं दी जाती,इसके लिए आँखें खोलकर रखना पड़तीं हैं। आँखें बंद कर किया जाने वाला कोई भी काम मनोरथ को पूरा नहीं करता।
पिछले 77 साल में ये दूसरा मौक़ा है जब लोकसभा के चुनाव बेहद विषम परिस्थितियों में हो रहे हैं। 1977 में भी कमोवेश ऐसी ही स्थितियां थीं ,लेकिन आज जैसी गंभीर स्थितयां नहीं थीं। तब सत्ताधीशों के मन में तानाशाही का बीज अंकुरित हुया था । 2024 में ये वटवृक्ष बन गया है। अंकुरित बीज को जनता ने एक झटके में उखाड़ फेंका था लेकिन तानाशाही के वटवृक्ष को उखाड़ने में उसकी दो कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। ये तीसरा और शायद आखरी अवसर है जब जनता तानाशाही को निर्मूल कर लोकतंत्र को निर्जीव होने से बचा सकती है।
देश में जिन जगहों पर 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है, वहां चुनाव प्रचार बुधवार थम चुका है किन्तु भीतर ही भीतर मतदाता का अनमोल मत हड़पने की साजिशें जारी हैं। प्रथम चरण में देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर जनता तय करेगी की उसे तानाशाही चाहिए या लोकतंत्र। आजकल चुनाव में प्रचार थमता नहीं ह। प्रचार थमने की औपचारिकता होती ह। नेता देश कि किसी भी कोने में खड़े होकर भाषण दे सकते हैं और उसका असर उन क्षेत्रों में भी होता है जहाँ औपचारिक रूप से चुनाव प्रचार रोक दिया जाता है। केंचुआ अभी इस बीमारी का तोड़ नहीं खोज पाया है।
आप मानें या न मानें किन्तु अठारहवीं लोकसभा का चुनाव किसी समुद्र मंथन से कम नहीं है । सत्ता सुंदरी को हासिल करने के लिए एक तरफ तानाशाही और प्रतिक्रियावादी शक्तियां हैं और दूसरी और लोकतान्त्रिक और समतावादी शक्तियां। सत्ता हासिल करने के लिए सत्तारूढ़ दल की नजर इस बार उत्तर के मुकाबले दक्षिण पर ज्यादा है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर 19 अप्रैल को मैदान है। भाजपा इस लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए 400 सीट और पार्टी के लिए 350 सीट जीतने के लिए संघर्षरत है । इसीलिए भाजपा ने दक्षिण के राज्यों में विशेषकर तमिलनाडु में एड़ी- चोटी का जोर लगा दिया है।
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई खुद कोयंबटूर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।अन्नामलाई भाजपा के लिए कितनी मलाई ला पाएंगे ये ४ जून को पता चलेगा। पहले चरण के लिए होने वाले मतदान में केंद्रीय मंत्री एल मुरगन ,कांग्रेस के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कीर्ति चिदंबरम,एआईएमआईएम के जेवियर दास ,तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल टी सौंदर्यराजन और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे ए राजा का भविष्य तय होना है।
देश को सबसे ज्यादा संसद देने वाले उत्तर प्रदेश में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान जीत के लिए मैदान में हैं इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने हरेंद्र मलिक तो बसपा ने दारा प्रजापति को चुनावी मैदान में उतारा है। नगीना सीट से भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी चुनावी मैदान में है। पूर्व के सबसे महत्वपूर्ण राज्य असम के डिब्रूगढ़ सीट से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल चुनावी मैदान में है। इससे पहले इस सीट से केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली सांसद थे। उनका टिकट काटकर सोनोवाल को दिया गया है.
पांच साल पहले खंड-खंड किये गए जम्मू और कश्मीर की उधमपुर सीट से दो बार चुनाव जीतकर मोदी मंत्रिमंडल में जगह बनाने वाले सांसद जितेंद्र सिंह तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। राजस्थान की अलवर सीट से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव।, बीकानेर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के सामने कांग्रेस के पूर्व मंत्री गोविंद राम मेघवाल चुनावी मैदान में हैं। मन मारकर राजनीति कर रहे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र की नागपुर सीट से हैट्रिक लगाने के चुनावी मैदान में है। 2014 और 2019 में उन्होंने दो लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी साल 2019 में उन्होंने मौजूदा महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को 2.16 लाख वोटों से हराया था। गडकरी भाजपा का उदार चेहरा हैं और प्रधानमंत्री मोदी जी के बाद सबसे जयादा लोग उन्हें पसंद करते हैं। वे पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
देश के सुप्रीम कोर्ट को लगातार धमकाने वाले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू अरुणाचल प्रदेश की अरुणाचल पश्चिमी सीट से मैदान में हैं। 2004 से सांसद बन रहे किरेन रिजिजू तीन बार इस सीट से चुनाव जीत चुके है। उनका मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवाब तुकी से है। यानि आठ केंद्रीय मंत्री, दो पूर्व सीएम और एक पूर्व राज्यपाल सहित 1625 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला पहले चरण के मतदान से होना है । यूपी की 8 और उत्तराखंड की सभी 5 सीटों पर मतदान होगा। पहले चरण में तमिलनाडु की सभी 39, राजस्थान की 12, उत्तर प्रदेश की 8, उत्तराखंड की सभी पांच, अरुणाचल प्रदेश की दो, बिहार की चार, छत्तीसगढ़ की एक, असम की चार, मध्य प्रदेश की 6, महाराष्ट्र की पांच, मणिपुर की दो, मेघालय की दो, मिजोरम और त्रिपुरा की एक-एक और पश्चिम बंगाल की तीन सीटों पर मतदान होगा। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी की एक-एक सीट पर भी मतदान होगा।
पहले चरण के लिए मतदान से पहले तमाम सत्ताप्रतिष्ठान के पिठ्ठू चैनल्स भांति-भाँतिके सर्वेक्षणों के जरिये मतदाताओं का ध्यान भंग करने का प्रयास करेंगे ,इसलिए जरूरी है कि मतदाता इन सबसे अपने निर्णय को प्रभावित न होने दे। मतदाता को तय करना होगा कि उसे पांच क्या दस साल में केंद्र की सत्ता से क्या मिला और क्या नहीं ? उसने क्या खोया और क्या पाया ? मतदाता को लोकतंत्र बचाना है या एक चेहरा ? देश का मतदाता प्रबुद्ध है। उसने तानाशाही की पहली कोशिश को भी नाकाम किया था। भविष्य में भी देश और दुनिया उससे यही उम्मीद करती है। मतदाता के मन में कौन है ये ब्रम्हा भी नहीं जान सकते। इति मित्थम।