पशुपालन मंत्री के बिगड़े बोल- बैल और भैंस कट सकती है तो गाय क्यों नहीं? मचा सियासी घमासान
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद से मंत्रियों के एक बाद एक आ रहे बयानों से राजनीति गरमाई हुई. प्रियांक खरगे के बाद अब राज्य के पशुपालन मंत्री के. वेंकटेश ने पशुवध रोकथाम और पशु संरक्षण अधिनियम को वापस लेने को लेकर शनिवार को दिए बयान से सियासत को गर्म कर दिया है.प्रियांक खरगे बजरंग दल पर बैन को लेकर बयान दे चुके हैं. के. वेंकटेशन ने यह बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया, ‘अगर भैंस और बैल काटे जा सकते हैं तो गाय का वध क्यों नहीं किया जा सकता.’ इस बयान के बाद मुख्य विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गया है और उस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रहा है.
पशुपालन मंत्री के. वेंकटेश मैसुरु में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा था कि सरकार पशुवध रोकथाम और पशु संरक्षण अधिनियम को वापस लेने को लेकर विचार विमर्श कर रही है उसके बाद इस अधिनियम पर उचित कार्रवाई की जाएगी. मंत्री वेंकटेश ने कहा कि वही निर्णय लिया जाएगा जो किसानों की मदद करने वाला हो. मंत्री ने एक उदाहरण पेश करते हुए कि मैं अपने आवास पर 3-4 गायों का पालन पोषण करता हूं और उनमें से एक गाय मर गई जिसका अंतिम संस्कार करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. करीब 25 लोग भी शव को उठाने में कामयाब नहीं हुए और बाद में एक JCB लाकर शव को उठाया गया.
पशुपालन मंत्री के वेंकटेश ने कहा कि जब बीजेपी सत्ता में थी तो उन्होंने बिल पास किया था (गोहत्या विरोधी बिल) इसमें उन्होंने गायों को नहीं बल्कि भैंसों को मारने का मौका दिया है, अगर हम भैंसों का वध कर सकते हैं तो गायों का क्यों नहीं?
गोहत्या पर पशुपालन मंत्री की हालिया टिप्पणी के बाद कर्नाटक में गोहत्या विरोधी कानून को लेकर विवाद छिड़ गया है. कांग्रेस सरकार के मंत्री की टिप्पणी की निंदा करते हुए भाजपा ने पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए पलटवार किया और चेतावनी दी कि अगर पार्टी गोहत्या विरोधी कानून को रद्द करने के साथ आगे बढ़ती है तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा.मंत्री का कहना है कि राज्य में धन की कमी है जिसके कारण गोशालाओं के प्रबंध करने में कमी आएगी. लेकिन इस तरह के बयान के बाद हिंदू कार्यकर्ताओं में काफी गुस्सा और नाराजगी है. इस टिप्पणी की न केवल कड़ी निंदा की जा रही है बल्कि गोहत्या कानून वापस लेने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी जा रही है।
बताते चलें कि भारतीय जनता पार्टी ने 2021 में एक कानून बनाया था. कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम व संरक्षण अधिनियम को 2021 को तत्कालीन सरकार ने लागू किया था। इस कानून के तहत ये अधिनियम मवेशियों के वध पर प्रतिबंध लगाता है. और इस कानून के तहत बीमार भैंस, 13 साल से ज्यादा उम्र की भैंसों की वध करने की अनुमति है।