जिलाधिकारी की किसानों से अपील,फसल अवशेष (पराली )न जलाएं किसान- अरविन्द सिंह
जिलाधिकारी अरविन्द सिंह ने किसान भाइयों से फसल अवशेष न जलाने की अपील की है। उन्होनें कहा है वर्तमान में धान की कटाई का कार्य किसान भाई कर रहे हैं। धान की मड़ाई में भारी मात्रा में पराली निकलती है जिसे किसान भाई न जलाएं बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन अपनाकर पशु चारे एवं खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को जलाने से मृदा ताप में बढ़ोत्तरी होती है जिसके कारण मृदा के भौतिक, रसायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पादप अवशेषों में लाभदायक मित्र कीट जलकर मर जाते हैं जिसके कराण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है साथ ही पशुओं के चारे की व्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ के बारे में डीएम ने बताया कि फसल अवशेष का प्रबंधन करने से मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणवत्ता में वृद्धि की जा सकती है। फसल अवशेष मृदा में जल धारण क्षमता को बढ़ाता है। जिससे फसल को लंबे अवधि तक मृदा जल प्राप्त होता है। फसल अवशेष के प्रबंधन से वातावरण को प्रदूषण से भी बचाया जा सकता है। फसल अवशेषों का प्रबंधन कर फसलों के समय में बुआई कर अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। फसल अवशेष का प्रबंधन करने से मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणवत्ता में वृद्धि की जा सकती है। फसल अवशेष मृदा में जल धारण क्षमता को बढ़ाता है। जिससे फसल को लंबे अवधि तक मृदा जल प्राप्त होता है। उन्होने कहा कि फसल अवशेष भारत में पशुधन के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। किसानों के स्तर पर समय की कमी और लागत के बोझ के कारण खेतों में काफी मात्रा में फसल अवशेषों को जला दिया जाता है। कटाई की उपयुक्त मशीनों के उपयोग से अधिक मात्रा में फसल अवशेषों की प्राप्ति सुनिश्चित हो सकती है और फसल अवशेषों की बर्बादी को कम किया जा सकता है।
जिलाधिकारी श्री सिंह ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कस्टम हायरिंग सैंटर भी खोले गए हैं। फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा समय-2 पर किसानों के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाता है और इन कृषि यंत्रों की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कृषि यंत्रों का प्रयोग करके किसान अपने खेत से अधिक पैदावार ले सकता है। उन्होंने कहा कि इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी व पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बचाव भी होगा। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से जमीन की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है और भूमि में मौजूद सूक्ष्म लाभकारी जीव व मित्र कीटों का नुकसान होता है।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे संबंधित लेखपालों एवं ग्राम सचिवों केे माध्यम से किसानों को गांव स्तर पर फसल अवशेष प्रबंधन एवं फसल अवशेषों को न जलाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने मण्डी सचिव को निर्देश दिए कि वे मंडियों में आए किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन एवं फसल अवशेष न जलाने के लिए जागरूक करें। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि किसान कृषि यन्त्रों का उपयोग कर फसल अवशेषों का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई किसान फसल अवशेषों को जलाएगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने से हमारा पर्यावरण दूषित होता है और पर्यावरण दूषित होने से हमें व हमारी आने वाली पीढ़ियों को अनेक भयंकर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमें पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए फसल अवशेषों को जलाने की अपेक्षा फसल अवशेष प्रबंधन अपनाना चाहिए।